सियाराम शरण गुप्त | Siyaram Sharan Gupt साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 5

Author Image

मैं तो वही खिलौना लूँगा

'मैं तो वही खिलौना लूँगा'
मचल गया दीना का लाल -
'खेल रहा था जिसको लेकर
राजकुमार उछाल-उछाल ।'

व्यथित हो उठी माँ बेचारी -
'था सुवर्ण - निर्मित वह तो !
खेल इसी से लाल, - नहीं है
राजा के घर भी यह तो ! '

राजा के घर ! नहीं नहीं माँ
तू मुझको बहकाती है ,
इस मिट्टी से खेलेगा क्यों
रा...

पूरा पढ़ें...

एक फूल की चाह

उद्वेलित कर अश्रु-राशियाँ, हृदय-चिताएँ धधकाकर,महा महामारी प्रचण्ड हो फैल रही थी इधर उधर।
क्षीण-कण्ठ मृतवत्साओं का करुण-रुदन दुर्दान्त नितान्त,भरे हुए था निज कृश रव में हाहाकार अपार अशान्त। बहुत रोकता था सुखिया को 'न जा खेलने को बाहर',नहीं खेलना रुकता उसका नहीं ठहरती वह पल भर।
मेरा हृदय काँप उठत...

पूरा पढ़ें...

शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी 

'काफ़िर है, काफ़िर है, मारो!' उत्तेजित जन चिल्लाये; विद्यार्थी जी बिना झिझक के झट से आगे बढ़ आये। 
"काफ़िर' - वह करीम उनको भी देता है दाना-पानी; पर 'अल्लाहो अकबर' कहकर ठीक नहीं है शैतानी।
अरे खुदा के बन्दो, ठहरो, क्या करने जाते हो आह! बचो, बचो, शैतान...

पूरा पढ़ें...

सुजीवन

हे जीवन स्वामी तुम हमकोजल सा उज्ज्वल जीवन दो!हमें सदा जल के समान हीस्वच्छ और निर्मल मन दो!
रहें सदा हम क्यों न अतल में,किंतु दूसरों के हित पल मेंआवें अचल फोड़कर थल में;ऐसा शक्तिपूर्ण तन दो!
स्थान न क्यों नीचे ही पावें,पर तप में ऊपर चढ जावें,गिरकर भी क्षिति को सरसावेंऐसा सत्साहस धन दो!
-सियाराम...

पूरा पढ़ें...

काकी

उस दिन बड़े सवेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा घर भर में कुहराम मचा हुआ है। उसकी माँ नीचे से ऊपर तक एक कपड़ा ओढ़े हुए कम्बल पर भूमि-शयन कर रही है और घर के सब लोग उसे घेर कर बड़े करुण स्वर में विलाप कर रहे हैं।
लोग जब उसकी माँ को श्मशान ले जाने के लिए उठाने लगे, तब श्यामू ने बड़ा उपद्रव मचाया...

पूरा पढ़ें...

सियाराम शरण गुप्त | Siyaram Sharan Gupt का जीवन परिचय