डॉ शम्भुनाथ तिवारी साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 11

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लोग क्या से क्या न जाने हो गए | ग़ज़ल

लोग क्या से क्या न जाने हो गए आजकल अपने बेगाने हो गए बेसबब ही रहगुज़र में छोड़ना दोस्ती के आज माने हो गए आदमी टुकडों में इतने बँट चुका सोचिए कितने घराने हो गए वक्त ने की किसकदर तब्दीलियाँ जो हकीकत थे फसाने हो गए
प्यार-सच्चाई-शराफत कुछ नहीं आजकल केवल बहाने हो गए जो कभी इस दौर के थे रहनुमा अब व...

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बिला वजह आँखों के कोर भिगोना क्या | ग़ज़ल

बिला वजह आँखों के कोर भिगोना क्याअपनी नाकामी का रोना रोना क्या
बेहतर है कि समझें नब्ज़ ज़माने कीवक़्त गया फिर पछताने से होना क्या
भाईचारा -प्यार मुहब्बत नहीं अगरतब रिश्ते नातों को लेकर ढोना क्या
जिसने जान लिया की दुनिया फ़ानी हैउसे फूल या काटों भरा बिछौना क्या
क़ातिल को भी क़ातिल लोग नहीं कहत...

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नहीं कुछ भी बताना चाहता है | ग़ज़ल

नहीं कुछ भी बताना चाहता है भला वह क्या छुपाना चाहता है तिज़ारत की है जिसने आँसुओं कीवही ख़ुद मुस्कुराना चाहता है
किया है ख़ाक़ जिसने चमन को वोमुक़म्मल आशियाना चाहता है
हथेली पर सजाकर एक क़तरा समंदर वह बनाना चाहता है
ज़माना काश, हो उसके सरीखा यही दिल से दीवाना चाहता है
ज़रा सी बात है बस रौशनी ...

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परिंदे की बेज़ुबानी

बड़ी ग़मनाक दिल छूती परिंदे की कहानी है!
कड़कती धूप हो या तेज़ बारिश का ज़माना हो,क़हर तूफ़ान का हो या बिजलियों का फ़साना हो !मगर वह बेबसी का ख़ौफ़ मंज़र देखने वाला,शिकायत क्या करे जिसका दरख़्तों पर ठिकाना हो!बयाँ कुछ कर नहीं सकता ये कैसी बेज़ुबानी है!बड़ी ग़मनाक दिल छूती परिंदे की कहानी है!!
अगर डाली से बच ...

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गर धरती पर इतना प्यारा

गर धरती पर इतना प्यारा,बच्चों का संसार न होता !
बच्चे अगर नहीं होते तो,घर-घर में वीरानी होती ।दिल सबका छू लेनेवाली ,नहीं तोतली बानी होती ।गली-गली में खेल-खिलौनों,का, भी कारोबार न होता ।।गर धरती पर इतना प्यारा,बच्चों का संसार न होता !
बात-बात में तुनकमिजाजी,जिद्द-शरारत करता कौन ?बातें मनवाने की ...

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नहीं है आदमी की अब | हज़ल

नहीं है आदमी की अब कोई पहचान दिल्ली मेंमिली है धूल में कितनों की ऊँची शान दिल्ली में
तलाशो मत मियाँ रिश्ते, बहुत बेदर्द हैं गलियाँबड़ी मुश्किल से मिलते है सही इंसान दिल्ली में
शराफ़त से किसी भी भीड़ में होकर खड़े देखोकोई भी थूक देगा मुँह पे खाकर पान दिल्ली में
जिन्हें लूटा नहीं कोई बड़ी तक़दीर...

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हौसले मिटते नहीं

हौसले मिटते नहीं अरमाँ बिखर जाने के बादमंजिलें मिलती है कब तूफां से डर जाने के बाद
कौन समझेगा कभी उस तैरने वाले का ग़मडूब जाये जो समंदर पार कर जाने के बाद
आग से जो खेलते हैं वे समझते है कहाँबस्तियाँ फिर से नहीं बसतीं उजड़ जाने के बाद
आशियाने को न जाने लग गई किसकी नज़रफिर नहीं आया परिंदा लौटकर ...

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कौन यहाँ खुशहाल बिरादर

कौन यहाँ खुशहाल बिरादरबद-से-बदतर हाल बिरादर
क़दम-क़दम पर काँटे बिखरेरस्ते-रस्ते ज़ाल बिरादर
किसकी कौन यहाँ पर सुनताभटको सालों-साल बिरादर
मिल जाएँगे रोज़ दरिंदे ओढ़े नकली ख़ाल बिरादर
समय नहीं है नेकी करकेफिर दरिया में डाल बिरादर
वह क्या देगा ख़ाक़ किसी को जो ख़ुद ही कंगाल बिरादर
जब से पहुँच ...

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उलझे धागों को सुलझाना

उलझे धागों को सुलझाना मुश्किल है नफरतवाली आग बुझाना मुश्किल है
जिनकी बुनियादें खुदग़र्ज़ी पर होंगी ऐसे रिश्तों का चल पाना मुश्किल है
बेहतर है कि खुद को ही तब्दील करें सारी दुनिया को समझाना मुश्किल है
जिनके दिल में कद्र नहीं इनसानों की उनकी जानिब हाथ बढ़ाना मुश्किल है
रखकर जान हथेली पर चलना हो...

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माँ की ममता जग से न्यारी !

माँ की ममता जग से न्यारी !
अगर कभी मैं रूठ गया तो,माँ ने बहुत स्नेह से सींचा ।कितनी बड़ी शरारत पर भी,जिसने कान कभी ना खीँचा ।उसके मधुर स्नेह से महकी,मेरे जीवन की फुलवारी ।माँ की ममता जग से न्यारी !
बिस्तर-बिना सदा जो सोई,मेरी खातिर नरम बिछौना ।मुझे बचाया सभी बला से,बाँध करधनी लगा डिठौना ।सारे ज...

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माँ की याद बहुत आती है !

माँ की याद बहुत आती है !
जिसने मेरे सुख - दुख को ही ,अपना सुख-दुख मान लिया था ।मेरी खातिर जिस देवी ने,बार - बार विषपान किया था ।स्नेहमयी ममता की मूरत,अक्सर मुझे रुला जाती है ।माँ की याद बहुत आती है !
दिन तो प्यार भरे गुस्से में,लोरी में कटती थीं रातें ।उसका प्यार कभी ना थकता,सरदी - गरमी या बरसा...

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डॉ शम्भुनाथ तिवारी का जीवन परिचय