विष्णु नागर साहित्य Hindi Literature Collections

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मैं और कुछ नहीं कर सकता था

मैं क्या कर सकता थाकिसी का बेटा मर गया थासांत्वना के दो शब्द कह सकता थाकिसी ने कहा बाबू जी मेरा घर बाढ़ में बह गयातो उस पर यकीन करके उसे दस रुपये दे सकता थाकिसी अंधे को सड़क पार करा सकता थारिक्शावाले से भाव न करके उसे मुंहमांगा दाम दे सकता थाअपनी कामवाली को दो महीने का एडवांस दे सकता थादफ्तर के च...

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सवाल

ईश्वर से पूछा गया कि उन्हें कौन-सा मौसम अच्छा लगता है-ठंड का, गर्मी का या बरसात का?
ईश्वर ने कहा, "मूर्ख यह सवाल गरीबों से किया करते हैं, ईश्वर से नहीं।"
-विष्णु नागर [ईश्वर की कहानियाँ, भारत ज्ञान विज्ञान समिति]
 

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विष्णु नागर का जीवन परिचय