ऋषभदेव शर्मा साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 3

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नाग की बाँबी खुली है आइए साहब

नाग की बाँबी खुली है आइए साहबभर कटोरा दूध का भी लाइए साहबरोटियों की फ़िक्र क्या है? कुर्सियों से लोगोलियाँ बँटने लगी हैं खाइए साहबटोपियों के हर महल के द्वार छोटे हैंऔर झुककर और झुककर जाइए साहबमानते हैं उम्र सारी हो गई रोतेगीत उनके ही करम के गाइए साहब
बिछ नहीं सकते अगर तुम पायदानों मेंफिर क़यामत ...

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धुंध है घर में उजाला लाइए

धुंध है घर में उजाला लाइएरोशनी का इक दुशाला लाइएकेचुओं की भीड़ आँगन में बढ़ीआदमी अब रीढ़ वाला लाइएजम गया है मोम सारी देह मेंगर्म फौलादी निवाला लाइएजूझने का जुल्म से संकल्प देआज ऐसी पाठशाला लाइए - डॉ.ऋषभदेव शर्मा  (तरकश, 1996)

 

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हैं चुनाव नजदीक सुनो भइ साधो

हैं चुनाव नजदीक, सुनो भइ साधो नेता माँगें भीख, सुनो भइ साधो गंगाजल का पात्र, आज सिर धारेंकल थूकेंगे पीक, सुनो भइ साधो
निकल न जाए साँप, तान लो लाठी फिर पीटोगे लीक, सुनो भइ साधो
खद्दरधारी हिरन बड़े मायावी झूठी इनकी चीख, सुनो भइ साधो
करतूतों की पोल, चौक में खोलो लोकतंत्र की सीख, सुनो भइ साधो
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ऋषभदेव शर्मा का जीवन परिचय