अदम गोंडवी साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 8

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अदम गोंडवी की ग़ज़लें

अदम गोंडवी को हिंदी ग़ज़ल में दुष्यन्त कुमार की परंपरा को आगे बढ़ाने वाला शायर माना जाता है। राजनीति, लोकतंत्र और व्‍यवस्‍था पर करारा प्रहार करती अदम गोंडवी की ग़ज़लें जनमानस की आवाज हैं। यहाँ उन्हीं की कुछ गज़लों का संकलन किया जा रहा है।

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आँख पर पट्टी रहे | ग़ज़ल

आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहेअपने शाह-ए-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे
देखने को दे उन्हें अल्लाह कंप्यूटर की आँखसोचने को कोई बाबा बाल्टीवाला रहे
तालिब-ए-शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहेआए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे
एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिएचार छह चमचे रहें माइक रहे माला...

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हिन्‍दू या मुस्लिम के | ग़ज़ल

हिन्‍दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िएअपनी कुरसी के लिए जज्‍बात को मत छेड़िए
हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल हैदफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िए
ग़र ग़लतियाँ बाबर की थी; जुम्‍मन का घर फिर क्‍यों जलेऐसे नाज़ुक वक़्त में हालात को मत छेड़िए
हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या...

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काजू भुने पलेट में | ग़ज़ल

काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास मेंउतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैतइतना असर है खादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरहजो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा देंसंसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में
जनता के पास एक ही ...

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घर में ठंडे चूल्हे पर | ग़ज़ल

घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली हैबताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है
भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारन-सीसुबह से फरवरी बीमार पत्नी से भी पीली है
बग़ावत के कमल खिलते हैं दिल की सूखी दरिया मेंमैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है
सुलगते जिस्म की गर्मी का फिर एहसास हो कैसेमोहब...

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जिस्म क्या है | ग़ज़ल

जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखियेआप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिये
जो बदल सकती है इस पुलिया के मौसम का मिजाज़उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिये
जल रहा है देश यह बहला रही है क़ौम कोकिस तरह अश्लील है कविता की भाषा देखिये
मतस्यगंधा फिर कोई होगी किसी ऋषि का शिकारदूर तक फैला हुआ गह...

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जो डलहौज़ी न कर पाया | ग़ज़ल

जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक़्क़ाम कर देंगेकमीशन दो तो हिन्दोस्तान को नीलाम कर देंगे
ये बन्दे-मातरम का गीत गाते हैं सुबह उठकरमगर बाज़ार में चीज़ों का दुगुना दाम कर देंगे
सदन में घूस देकर बच गई कुर्सी तो देखोगेवो अगली योजना में घूसखोरी आम कर देंगे
- अदम गोंडवी
 

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तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है | ग़ज़ल

तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है मगर ये आँकड़ें झूठे हैं ये दावा किताबी है
उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो इधर पर्दे के पीछे बर्बरीयत है नवाबी है
लगी है होड़-सी देखो अमीरी और ग़रीबी में ये पूँजीवाद के ढाँचे की बुनियादी ख़राबी है
तुम्हारी मेज़ चाँदी की तुम्हारे जाम सोने के यह...

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अदम गोंडवी का जीवन परिचय