शिवमंगल सिंह सुमन साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 6

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हम पंछी उन्मुक्त गगन के

हम पंछी उन्मुक्त गगन केपिंजरबद्ध न गा पाऍंगेकनक-तीलियों से टकराकरपुलकित पंख टूट जाऍंगे ।
हम बहता जल पीनेवालेमर जाऍंगे भूखे-प्यासेकहीं भली है कटुक निबोरीकनक-कटोरी की मैदा से ।
स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन मेंअपनी गति, उड़ान सब भूलेबस सपनों में देख रहे हैंतरू की फुनगी पर के झूले ।
ऐसे थे अरमान कि उड़...

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मिट्टी की महिमा

निर्मम कुम्हार की थापी सेकितने रूपों में कुटी-पिटी,हर बार बिखेरी गई, किन्तुमिट्टी फिर भी तो नहीं मिटी।
आशा में निश्छल पल जाए, छलना में पड़ कर छल जाए,सूरज दमके तो तप जाए, रजनी ठुमकी तो ढल जाए,यों तो बच्चों की गुड़िया-सी, भोली मिट्टी की हस्ती क्या,आँधी आये तो उड़ जाए, पानी बरसे तो गल जाए,फसलें उगत...

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मैं सूने में मन बहलाता

मेरे उर में जो निहित व्यथा कविता तो उसकी एक कथाछंदों में रो-गाकर ही मैं, क्षण-भर को कुछ सुख पा जातामैं सूने में मन बहलाता।
मिटने का है अधिकार मुझेहै स्मृतियों से ही प्यार मुझेउनके ही बल पर मैं अपने, खोए प्रीतम को पा जातामैं सूने में मन बहलाता।
कहता क्या हूँ, कुछ होश नहीं मुझको के...

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चलना हमारा काम है

गति प्रबल पैरों में भरीफिर क्यों रहूँ दर-दर खडाजब आज मेरे सामनेहै रास्ता इतना पड़ाजब तक न मंज़िल पा सकूँ, तब तक मुझे न विराम है,चलना हमारा काम है।
कुछ कह लिया, कुछ सुन लियाकुछ बोझ अपना बँट गयाअच्छा हुआ, तुम मिल गईकुछ रास्ता ही कट गयाक्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है,चलना हमारा काम है।
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गीत गाने को दिए पर स्वर नहीं

दे दिए अरमान अगणित पर न उनकी पूर्ति दी, कह दिया मन्दिर बनाओ पर न स्थापित मूर्ति की।
यह बताया शून्य की आराधना करते रहो-- चिर-पिपासित को दिया मरुथल, मगर निर्भर नहीं ! गीत गाने को दिए पर स्वर नहीं ?
स्नेह का दीपक जलाकर आह और कराह दी, रूप मृण्मय दे, हृदय में अमरता की चाह दी।
कह दिया बस मौन होकर सा...

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वरदान माँगूँगा नहीं

यह हार एक विराम हैजीवन महासंग्राम हैतिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।वरदान माँगूँगा नहीं॥
स्मृति सुखद प्रहरों के लिएअपने खण्डहरों के लिएयह जान लो मैं विश्व की सम्पत्ति चाहूँगा नहीं।वरदान माँगूँगा नहीं॥
क्या हार में क्या जीत मेंकिंचित नहीं भयभीत मैंसंघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भ...

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शिवमंगल सिंह सुमन का जीवन परिचय