सपना मांगलिक साहित्य Hindi Literature Collections

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राधा प्रेम

मोर मुकट पीताम्बर पहने,जबसे घनश्याम दिखासाँसों के मनके राधा ने, बस कान्हा नाम लिखाराधा से जब पूँछी सखियाँ, कान्हा क्यों न आतामैं उनमें वो मुझमे रहते, दूर कोई न जाताद्वेत कहाँ राधा मोहन में, यों ह्रदय में समायाजग क्या मैं खुद को भी भूली, तब ही उसको पाया।
वो पहनावे चूड़ी मोहे,बेंदी भाल लगावेरोज श्य...

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जैसा राम वैसी सीता | कहानी

आज फिर स्कूल जाते वक्त बिन्दिया दिखाई पड गयी । ना जाने क्यों यह विन्दिया जब तब मेरे सामने आ ही जाती है । शायद 'लॉ ऑफ़ रिवर्स इफेक्ट' मनुष्यों पर कुछ ज्यादा लागू होता है जिस आदमी से हम कन्नी काटना चाहते हैं या जिसे देखने मात्र से मन ख़राब हो जाता है वही अकसर आपके सामने आकर खड़ा हो जाता है । हालाँक...

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सपना मांगलिक का जीवन परिचय