पूछ रहीं सूखी अंतड़ियाँचेहरों की चिकनाई से ! कब निकलेगा देश हमारा निर्धनता की खाई से !!
भइया पच्छिम देस गए हो पुरवइया को भूल गए, हँसते-गाते आँगन की हर ता- थइया को भूल गए, रामचरितमानस से घर की चौपइया को भूल गए भूल गए बूढ़े बापू को, क्यों भइया को भूल गए।
पूछ रही राखीभाई की बिछुड़ी हुई कलाई से! कब...
पूरा पढ़ें...