कुँअर बेचैन साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 11

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कुंअर बेचैन ग़ज़ल संग्रह

कुंअर बेचैन ग़ज़ल संग्रह - यहाँ डॉ० कुँअर बेचैन की बेहतरीन ग़ज़लियात संकलित की गई हैं। विश्वास है आपको यह ग़ज़ल-संग्रह पठनीय लगेगा।

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अपना जीवन.... | ग़ज़ल

अपना जीवन निहाल कर लेतेऔरों का भी ख़याल कर लेते
जब भी पूछो हो हमसे पूछो होआज ख़ुद से सवाल कर लेते
दिल पे जादू है बस मुहब्बत काआप भी यह कमाल कर लेते
गर न उन पर नजर तेरी होतीलोग क्या अपना हाल कर लेते
मौत के जाल से निकलते तोज़िंदगी को बहाल कर लेते
ए 'कुँअर' ख़ुद पे भी नज़र रखतेअपनी भी देखभाल कर...

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तुम्हारे जिस्म जब-जब | ग़ज़ल

तुम्हारे जिस्म जब-जब धूप में काले पड़े होंगे हमारी भी ग़ज़ल के पाँव में छाले पड़े होंगे
अगर आँखों पे गहरी नींद के ताले पड़े होंगे तो कुछ ख़्वाबों को अपनी जान के लाले पड़े होंगे
कि जिन की साज़िशों से अब हमारी जेब ख़ाली है वो अपने हाथ जेबों में कहीं डाले पड़े होंगे
हमारी उम्र मकड़ी है हमें इतना ...

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कोई फिर कैसे.... | ग़ज़ल

कोई फिर कैसे किसी शख़्स की पहचान करेसूरतें सारी नकाबों में सफ़र करती हैं
अच्छे इंसान ही घाटे में रहे हैं अक्सरवो हैं चीजें जो मुनाफ़ों मे सफर करती हैं
क्या पता बीच मे छलके कि लबो तक पहुँचेये शराबें जो गिलासो में सफ़र करती हैं
जो किसी के भी चुभी हो तो हमे बतलाएँखुशबुएँ रोज ही काँटो मे सफ़र करती...

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दिल पे मुश्किल है....

दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना जैसे बहते हुए पानी पे हो पानी लिखना
कोई उलझन ही रही होगी जो वो भूल गया मेरे हिस्से में कोई शाम सुहानी लिखना
आते जाते हुए मौसम से अलग रह के ज़रा अब के ख़त में तो कोई बात पुरानी लिखना
कुछ भी लिखने का हुनर तुझ को अगर मिल जाए इश्क़ को अश्कों के दरिया की रव...

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दो-चार बार... | ग़ज़ल

दो-चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए
रहते हमारे पास तो ये टूटते ज़रूर अच्छा किया जो अपने सपने चुरा लिए
चाहा था एक फूल ने तड़पें उसी के पास हम ने ख़ुशी से पेड़ों में काँटे बिछा लिए
आँखों में आए अश्क ने आँखों से ये कहा अब रोको या गिराओ हमें हम तो आ लिए
सुख जैसे ब...

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करो हम को न शर्मिंदा..

करो हम को न शर्मिंदा बढ़ो आगे कहीं बाबा हमारे पास आँसू के सिवा कुछ भी नहीं बाबा
कटोरा ही नहीं है हाथ में बस फ़र्क़ इतना है जहाँ बैठे हुए हो तुम खड़े हम भी वहीं बाबा
तुम्हारी ही तरह हम भी रहे हैं आज तक प्यासे न जाने दूध की नदियाँ किधर हो कर बहीं बाबा
सफ़ाई थी सच्चाई थी पसीने की कमाई थी हमारे पा...

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धूप से छाँव की.. | ग़ज़ल

धूप से छाँव की कहानी लिख आह से आँसुओं की बानी लिख
यह करिश्मा भी कर मुहब्बत में आग से कागजों में पानी लिख
माँगने वाला कुछ तो देता है तू सभी याचकों को दानी लिख़
मौत का हाथ थामकर उससे यह भी कह जिंदगी के मानी लिख
दर्द जब तेरे दिल का राजा है प्रीति को दिल की राजधानी लिख
-कुँअर बेचैन

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कब निकलेगा देश हमारा

पूछ रहीं सूखी अंतड़ियाँचेहरों की चिकनाई से ! कब निकलेगा देश हमारा निर्धनता की खाई से !!
भइया पच्छिम देस गए हो पुरवइया को भूल गए, हँसते-गाते आँगन की हर ता- थइया को भूल गए, रामचरितमानस से घर की चौपइया को भूल गए भूल गए बूढ़े बापू को, क्यों भइया को भूल गए।
पूछ रही राखीभाई की बिछुड़ी हुई कलाई से! कब...

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मेरे इस दिल में.. | ग़ज़ल

मेरे इस दिल में क्या है क्या नहीं है अभी तक मैंने ये सोचा नहीं है
कथा आँसू की चलती ही रहेगी ये एक-दो रोज का किस्सा नही है
सभी रिश्तो में यह मत सोचियेगा कि ये ऐसा है, ये वैसा नही है
किसी के ग़म में जो डूबा हुआ है वो हँसता है मगर हँसता नही है
मैं यूं तो रोज तुझको देखता हूँ तुझे लेकिन अभी देखा न...

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आज जो ऊँचाई पर है...

आज जो ऊँचाई पर है क्या पता कल गिर पड़े इतना कह के ऊँची शाख़ों से कई फल गिर पड़े
साँस की पायल पहन कर ज़िंदगी निकली तो है क्या पता कब टूट कर ये उस की पायल गिर परे
ये भी हो सकता है पत्थर फेंकने वालों के साथ उन का पत्थर ख़ुद उन्हें ही कर के घायल गिर पड़े
सर पे इतना बोझ और पाँव में इतनी ठोकरें अच्छ...

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कुँअर बेचैन का जीवन परिचय