ओ उन्मुक्त गगन के पाखीमेरे आंगन आ के देख
छत पर बैठ राह निहारूंदाने मेरे कितने मीठे तू इनको खा के देख
दर्द बहुतेरे इस दुनिया मेंतू खुशियों को फैला कर देख
जंगल में जब आग लगी होअपना नीड़ बचा कर देख
माँ की ममता कितनी न्यारीयह बातें समझा कर देख
मेरी आँखे राह ताकेप्रीतम का पैगाम ले जाकर तो देख ।
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