नरेन्द्र कोहली साहित्य Hindi Literature Collections

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मजबूरी और कमजोरी

मैं रामलुभाया के घर पहुँचा तो देख कर चकित रह गया कि वह बोतल खोल कर बैठा हुआ था।
"यह क्या रामलुभाया !'' मैंने कहा, "तुम तो मदिरा के बहुत विरोधी थे।'"
"विरोधी तो अब भी हूँ; किंतु क्या करूं । इस वर्ष भी आचार्य ने मुझे पुरस्कार नहीं दिया।"
"तो तुम मदिरा पीने बैठ गए ?''
‘‘गम तो गलत कर...

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देशभक्त

रामलुभाया बहुत जल्दी में था। मैं उसे पुकारता रहा और वह मुझ से भागता रहा। अंततः मैंने दौड़ कर उस को पकड़ ही लिया।
‘‘क्या बात है रामलुभाया ?’’
‘‘वह अपनी क्रिकेट की टीम आ रही है न। उन का स्वागत करने मैं एयरपोर्ट जा रहा हूँ।’’
‘‘हवाई अड्डा ...

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नरेन्द्र कोहली का जीवन परिचय