स्वामी विवेकानंद साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 17

Author Image

पवहारी बाबा की कथाएं

स्वामी विवेकानन्द ने अपने भाषणों व लेखन में कई स्थानों पर पवहारी बाबा का उल्लेख किया है। 'पवहारी' यानी पवन का आहार करने वाला। पवहारी बाबा के बारे में प्रसिद्ध था कि वे कुछ आहार नहीं लेते थे। स्वामी विवेकानंद इस विचित्र साधु से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने पवहारी बाबा की जीवनी भी लिखी।
'पवहारी ब...

पूरा पढ़ें...

प्रियतम का दूत

एक बार उन्हें गोरखा सांप ने काट लिया था। आपके विश्वती पर प्रभाव से वे थोड़े ही समय में बेसुध हो गए थे। इस अवस्था में बहुत समय व्यतीत हो गया। लोगों ने समझा, महात्मा मर गए हैं। परंतु आश्चर्य की बात है कि कई घंटे के पश्चात उनकी चेतना लौट आई। धीरे-धीरे वह उठ कर बैठ गए और थोड़े ही समय में अपने आ...

पूरा पढ़ें...

स्वामी विवेकानन्द का विश्व धर्म सम्मेलन, शिकागो में दिया गया भाषण

स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो (अमेरिका) में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक बेहद चर्चित भाषण दिया था। विवेकानंद का जब भी जि़क्र आता है उनके इस भाषण की चर्चा जरूर होती है। पढ़ें विवेकानंद का यह भाषण...
अमेरिका के बहनो और भाइयो,आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्...

पूरा पढ़ें...

स्वामी विवेकानन्द के अनमोल वचन


"उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।" अर्थात् उठो, जागो, और ध्येय की प्राप्ति तक रूको मत।
मैं सिर्फ और सिर्फ प्रेम की शिक्षा देता हूं और मेरी सारी शिक्षा वेदों के उन महान सत्यों पर आधारित है जो हमें समानता और आत्मा की सर्वत्रता का ज्ञान देती है।
सफलता के तीन आवश्यक अंग हैं-शुद्धता,धैर्य औ...

पूरा पढ़ें...

स्वामी विवेकानंद के प्रसंग व कथायें | Swami Vivekanada

इन पृष्ठों में स्वामी विवेकानन्द से संबंधित प्रसंगों व कथाओं को संकलित किया गया है।

पूरा पढ़ें...

स्वामी विवेकानंद की कविताएं

यहाँ स्वामी विवेकानंद की कविताएं संकलित की गई हैं।
 
 

पूरा पढ़ें...

काली माता

छिप गये तारे गगन के,बादलों पर चढ़े बादल,काँपकर गहरा अंधेरा,गरजते तूफान में, शतलक्ष पागल प्राण छूटेजल्द कारागार से--द्रुमजड़ समेत उखाड़कर, हरबला पथ की साफ़ करके ।
शोर से आ मिला सागर,शिखर लहरों के पलटतेउठ रहे हैं कृष्ण नभ कास्पर्श करने के लिए द्रुत,किरण जैसे अमंगल कीहर तरफ से खोलती हैमृत्यु-छायाएँ...

पूरा पढ़ें...

सागर के वक्ष पर

नील आकाश में बहते हैं मेघदल,श्वेत कृष्ण बहुरंग,तारतम्य उनमें तारल्य का दीखता,पीत भानु-मांगता है विदा,जलद रागछटा दिखलाते ।
बहती है अपने ही मन से समीर,गठन करता प्रभंजन,गढ़ क्षण में ही, दूसरे क्षण में मिटता है,कितने ही तरह के सत्य जो असम्भव हैं -जड़ जीव, वर्ण तथा रूप और भाव बहु ।
आती वह तुलाराशि ज...

पूरा पढ़ें...

चोर और पवहारी बाबा

प्रसिद्ध योगी पवहारी बाबा गंगातट पर निर्जन वास करते थे। एक रात बाबाजी की कुटिया में एक चोर घुसा। कुछ बरतन, कपड़े और एक कंबल ही बाबा की कुल जमा पूंजी थी। चोर बरतनों को बांधकर जल्दी से निकल जाने का प्रयास करने लगा। जल्दबाजी में वह कुटिया की दीवार से टकरा गया और घबराहट में भागते समय चोरी का सामा...

पूरा पढ़ें...

ज्ञान

एक बार स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस से पूछा, "बहुत-से पंडित अनेक शास्त्रों का पाठ करते हैं। वेद-पाठ में ही संपूर्ण जीवन बिता देते है तथापि उन्हें ज्ञान-लाभ क्यों नहीं होता?"
स्वामी जी ने हँसते हुए उत्तर दिया, "चील, गिद्ध आदि पक्षी उड़ते तो बहुत ऊँचाई पर हैं, लेकिन उनकी दृ...

पूरा पढ़ें...

पवहारी बाबा

अपने भारत भ्रमण के दौरान स्वामी विवेकानंद एक संत से मिले जिसने उन्हें पवहारी बाबा की एक कथा सुनाई। कथा इस प्रकार थी- प्रसिद्ध योगी पवहारी बाबा गंगातट पर निर्जन वास करते थे। एक रात बाबाजी की कुटिया में एक चोर घुसा। कुछ बरतन, कपड़े और एक कंबल ही बाबा की कुल जमा पूंजी थी। चोर बरतनों को बांधकर जल्दी ...

पूरा पढ़ें...

दीक्षा | कहानी

एक व्यक्ति बहुत दुष्ट था। एक दिन जब वह दुष्कर्म करते हुए पकड़ा गया तो दंडस्वरूप उसकी नाक काट कर उसे भगा दिया गया। अब वह व्यक्ति अपने नक-कटे मुँह को लेकर लोगों के सामने कैसे जाता! यह मुँह किसी को दिखाने के योग्य कहाँ रह गया था ? उसका मन अपार दु:ख से भर-सा गया था। अंत में बहुत सोच विचार कर...

पूरा पढ़ें...

डर

एक बार स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे कि तभी बहुत-से बंदरों ने उन्हें घेर लिया। वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे। स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए और वे उन्हें दौडाने लगे।
पास खड़े एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहे थे। उ...

पूरा पढ़ें...

निर्भीक बालक

बचपन से ही भय किसे कहते हैं नरेन्द्र नहीं जानते थे। जब उनकी आयु केवल छह वर्ष थी, एक दिन वे अपने मित्रों के साथ 'चड़क' का मेला देखने गये। नरेन्द्र मेले में से मिट्टी की महादेव की मूर्तियां खरीद कर लौट रहे थे कि उनके दल का एक बालक अलग होकर फुटपाथ के से रास्ते पर जा पहुँचा। उसी समय सामने से एक गाड़ी...

पूरा पढ़ें...

मानव धर्म सर्वोपरि

स्वामी विवेकानंद बेलूर में श्री रामकृष्ण परमहंस मठ की स्थापना हेतु धन संग्रह कर रहे थे। भूमि भी खरीदी जा चुकी थी। इन्हीं दिनों कलकत्ता में प्लेग की महामारी फैल गई। स्वामीजी तुरंत मठ निर्माण की योजना स्थगित कर सारी एकत्रित धनराशि ले रोगियों की सेवा में लग गए। किसी ने उनसे पूछा- 'अब मठ का निर्माण क...

पूरा पढ़ें...

गुरुमाता का आशीर्वाद | प्रसंग

पश्चिम के लिए निकलने से पहले स्वामी विवेकानंद अपनी गुरुमाता (स्वामी रामकृष्ण परमहंस की पत्नी) शारदा देवी का आशीर्वाद लेने गए।
विवेकानंद पहली बार स्वामी रामकृष्ण का संदेश लेकर अमेरिका जा रहे थे।
विवेकानंद जब पहुंचे, उस समय गुरुमाता रसोई-घर में खाना बना रही थीं।
विवेकानंद ने गुरुमाता के चरण स्पर...

पूरा पढ़ें...

पूर्णाहुति

पवहारी बाबा अधिकतर अपनी गुफा में रहते थे। अपने अंतिम समय में उन्होंने लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दिया था। जब वे गुफा से बाहर आते, तब लोगों से बातचीत करते लेकिन बीच का दरवाज़ा बंद रखकर। उनके गुफा से बाहर निकलने का पता उनके ऊपरवाले कमरे में से होम के धुएँ के निकलने से अथवा पूजा की सामग्री ठीक करने...

पूरा पढ़ें...

स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय