तोताराम सनाढ्य | फीजी साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 5

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फिज़ी द्वीप में मेरे 21 वर्ष

यदि आप शर्तबंध मज़दूरों यानी अनुबंधित श्रमिकों के बारे में जानना चाहते हैं तो फ़िजी प्रवास पर लिखी गई तोताराम सनाढय की पुस्तक इस क्रम में सर्वश्रेष्ठ कही जा सकती है। वे स्वयं अनुबंधित श्रमिक के रूप में फ़िजी गए थे और इसके यह आत्मकथा उन हज़ारों श्रमिकों की कहानी है जो धोखे से, झूठे सब्ज़बाग दिखाक...

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ग्रंथकर्ता की प्रार्थना | फ़िजी की कहानी

प्रिय देशबंधु!
मैं वास्तव में उन महानुभावों का अत्यंत कृतज्ञ हूँ, जिन्होंने मेरी इस क्षुद्र पुस्तक को अपना कर मेरे प्रयत्न को सफल किया है। जिन समाचार-पत्रों के संपादकों ने मुझे इस कार्य में सहायता दी है, उनका मैं आजन्म ऋणी रहूँगा। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूँ कि मैंने उनकी सहायता का दुरूपयोग नह...

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फ़िजीद्वीप में मेरे 21 वर्ष

मेरा जन्म सन 1876 ई० में हिरनगो (फिरोजाबाद) में सनाढ्य कुल में हुआ था। मेरे पिता पं० रेवतीरामजी का देहांत सन 1887 ई० में हो गया, और मैं, मेरी माँ व मेरे भाई रामलाल और दुर्गा प्रसाद अनाथ रह गए। पिताजी ने हम लोगों के लिए कोई चार हजार रुपये के गहने, इत्यदि की संपत्ति छोड़ी थी, परंतु वह कुल एक ही वर्...

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जहाज का वृतांत

फिर हम लोगों के नाम पुकारे गए और हम सब जहाज पर चढ़ाये गए। उस समय पाँच सौ भारतीय अपनी मातृभूमि को छोड़ कैदियों और गुलामों की तरह फिजी को जा रहे थे। यह किसे ज्ञात था कि वहाँ पहुच कर हमें असंख्य कष्ट सहने पड़ेगें! कितने ही आदमी अपनी माता, पिता, भाई, बहन इत्यादि के प्रेम में अश्रुओं की धारा बहा रहे थ...

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फिजीद्वीप

फिजी द्वीपसमूह प्रशांत महासागर में स्थित है। उसके पश्चिम में न्युहैब्रीडीज है। भूमध्यरेखा के दक्षिण में देशांतर के 15 अंक से ले कर 22 अंक तक और पश्चिम में अक्षांश की 175 डिग्री से ले कर 177 डिग्री तक फैला हुआ है। इसमें सब मिला कर 254 द्वीप हैं। इनमें से लगभग 80 टापुओं में आदमी रहते हैं। फिजी द्वी...

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तोताराम सनाढ्य | फीजी का जीवन परिचय