सुदामा पांडेय धूमिल साहित्य Hindi Literature Collections

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धूमिल की अंतिम कविता

"शब्द किस तरहकविता बनते हैंइसे देखोअक्षरों के बीच गिरे हुएआदमी को पढ़ोक्या तुमने सुना कि यहलोहे की आवाज है यामिट्टी में गिरे हुए खूनका रंग।"
लोहे का स्वादलोहार से मत पूछोउस घोड़े से पूछोजिसके मुँह में लगाम है।
-धूमिल
 

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रोटी और संसद

एक आदमी रोटी बेलता है एक आदमी रोटी खाता है एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है मैं पूछता हूँ- 'यह तीसरा आदमी कौन है ?' मेरे देश की संसद मौन है।
-धूमिल
 

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बीस साल बाद

मेरे चेहरे में वे आँखें लौट आयी हैंजिनसे मैंने पहली बार जंगल देखा है :हरे रंग का एक ठोस सैलाब जिसमें सभी पेड़ डूब गए हैं।
और जहाँ हर चेतावनीख़तरे को टालने के बादएक हरी आँख बन कर रह गयी है।
बीस साल बादमैं अपने-आप से एक सवाल करता हूँजानवर बनने के लिए कितने सब्र की ज़रूरत होती है?और बिना किसी उत्त...

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सुदामा पांडेय धूमिल का जीवन परिचय