मेरे चेहरे में वे आँखें लौट आयी हैंजिनसे मैंने पहली बार जंगल देखा है :हरे रंग का एक ठोस सैलाब जिसमें सभी पेड़ डूब गए हैं।
और जहाँ हर चेतावनीख़तरे को टालने के बादएक हरी आँख बन कर रह गयी है।
बीस साल बादमैं अपने-आप से एक सवाल करता हूँजानवर बनने के लिए कितने सब्र की ज़रूरत होती है?और बिना किसी उत्त...
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