देवेन्द्र कुमार मिश्रा साहित्य Hindi Literature Collections

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हौसला

कागज की नाव बही और डूब गई बात डूबने की नहीं उसके हौसले की है और कौन मरा कितना जिया सवाल ये नहीं बात तो हौसले की है बात तो जीने की है कितना जिया ये बात बेमानी है किस तरह जिया कागज़ी नाव का हौसला देखिये डूबना नहीं।
- देवेन्द्र कुमार मिश्रा   पाटनी कालोनी, भरत नगर,  चन्दनगाँव जि.छिन्दवाड...

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भूखे-प्यासे

वे भूखे प्यासे, पपड़ाये होंठ सूखे गले, पिचके पेट, पैरों में छाले लिए पसीने से तरबतर, सिरपर बोझा उठाये सैकड़ो मील पैदल चलते पत्थर के नहीं बने पथरा गये चलते-चलते।
टूटी आस, अटकती सांस लिए घर को जा रहे हैं, जहां भूख पहले से प्रतीक्षा में है उनकी। वे मजदूर हैं, मेहनतकश हैं चेारी कर नहीं सकते बस मर स...

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देवेन्द्र कुमार मिश्रा का जीवन परिचय