अमृतराय साहित्य Hindi Literature Collections of Amrit Rai

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गीली मिट्टी

नींद में ही जैसे मैंने माया की आवाज़ सुनी और चौंककर मेरी आंख खुल गई। बगल के पलंग पर नज़र गई, माया वहां नहीं थी। आज इतने सवेरे माया कैसे उठ गई, कुछ बात समझ में नहीं आई ।
आवाज़ दरवाज़े पर से आई थी । मैं हड़बड़ाकर उठा और वहां पहुंचा, तो क्या देखता हूं कि माया दरवाज़ा खोले खड़ी है और बाहर के बरामदे ...

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अमृतराय का जीवन परिचय