बेसन की सोंधी रोटी पर, खट्टी चटनी जैसी माँयाद आती है चौका, बासन, चिमटा, फूंकनी जैसी माँ
बांस की खुर्री खाट के ऊपर, हर आहट पर कान धरेआधी सोई आधी जागी, थकी दोपहरी जैसी माँ
चिड़ियों के चहकार में गूंजे, राधा - मोहन अली-अलीमुर्गी की आवाज़ से खुलती, घर की कुण्डी जैसी माँ
बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन, थोड...
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