आँखें बरबस भर आती हैं,जब मन भूत के गलियारों में विचरता है।सोच उलझ जाती है रिश्तों के ताने-बाने में,एक नासूर सा इस दिल में उतरता है।
भीड़ में अकेलेपन का अहसास दिल को खलता है,जीवन की भुल-भुलैया में अस्तित्व खोया सा लगता है।अपनों के बेगाने होने का दर्द हरदम टीसता है,शून्य में खो जाने का हर क्षण अंद...
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