बालमुकुन्द गुप्त साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 2

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माई लार्ड

माई लार्ड! लड़कपन में इस बूढ़े भंगड़ को बुलबुल का बड़ा चाव था। गांव में कितने ही शौकीन बुलबुलबाज थे। वह बुलबुलें पकड़ते थे, पालते थे और लड़ाते थे, बालक शिवशम्भु शर्मा बुलबुलें लड़ाने का चाव नहीं रखता था। केवल एक बुलबुल को हाथ पर बिठाकर ही प्रसन्न होना चाहता था। पर ब्राह्मणकुमार को बुलबुल कैसे मिल...

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पेट-महिमा

साधो पेट बड़ा हम जाना। यह तो पागल किये जमाना॥मात पिता दादा दादी घरवाली नानी नाना। सारे बने पैट की खातिर वाकी फकत बहाना॥ पेट हमारा हुण्डी पुर्जा पेटहि माल खजाना। जबसे जन्मे सिवा पेट के और न कुछ पहचाना॥लड्डू पेड़ा पूरी बरफी रोटी साबूदाना। सबै जात है इसी पेट में हलवा तालमखाना॥यही पेट चट कर गया होटल...

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बालमुकुन्द गुप्त का जीवन परिचय