स्वरांगी साने साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 6

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सपना

खुली आँखों से सपना देखतीसपने को टूटता देखतीखुद को अकेला देखती
फिर भी वो सपना देखती।
- स्वरांगी साने   ई-मेल: swaraangisane@gmail.com
 

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पीहर

कविता में जाना मेरे लिए पीहर जाने जैसा है।
मुक़ाम पर पहुँचते ही लिवाने आ जाते हैं शब्द दिमाग का सारा ज़रूरी, गैर ज़रूरी सामानरख देते हैं कल्पना की गाड़ी में।घूमती हूँ मन की सँकरी-चौड़ी सड़कों परदरवाज़े पर ही खड़ी होती हैहँसती-मुस्कुराती कवितावह माँ होती है मेरे लिए।
जब लौटती हूँतो सारे गैर ज़रू...

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प्याज़

बहुत साराप्याज़ काटने बैठ जाती थी माँ।कहती थी मसाला भूनना है।
दीदी को भी बड़ा प्यारा लगताप्याज़ काटना।
तब समझ नहीं पाती थीइतना अच्छा क्या हैप्याज़ काटने में
आज पूछती है बेटीक्या हुआ?और वो कह देती हैकुछ नहींप्याज़ काट रही हूँ।
- स्वरांगी साने   ई-मेल: swaraangisane@gmail.com

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कछुआ

बचपन में कछुए को देखतीतो सोचती थीक्या देखता होगाइस तरह हाथ-पैर बाहर निकाल करखुले आकाश को या उस दौड़ को जिसमें जीता था कभी उसका पुरखा।
समय के साथ जानने लगीखतरा न हो तो ही निकलता है कछुआ खोल से बाहर।फिर वो भी हो गई कछुआपड़ी रही एक कोने मेंकि किसी की निगाह न जाए उस परआने-जाने वालेउसे भी मान लें एक ...

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प्रतीक्षा

बेटी आने वाली हैयह सोच करउसकी आँखें सुपर बाजार हो जाती हैंऔर वो सुपर वुमन।पूरे मोहल्ले को खबर कर देती हैकहती है- दिन ही कितने बचे हैं, कितने काम हैं
कुछ उसके सामनेकुछ पीठ पीछे हँसते हैंकि बेटी न हुई शहज़ादी हो गईपर उसके लिए तोब्याहता बेटी भीकिसी परी से कम नहीं होती।
आ जाती है बेटीतो वो चक्कर घि...

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कागज़

उन पीले ज़र्द कागज़ों के पासकहने को बहुत कुछ था।उन कोरे नए कागज़ों के पासभीनी महक के अलावा कुछ न था। पीले पड़ चुके कागज़ों की स्याही भी धुँधला गई थीकोनों से होने लगे थे रेशा-रेशापर कितने अनकहे अनुभवों-अनुभूतियों को लिये थे वे।
हालाँकि नये कागज़ चिकने भी थेऔर उन पर लिखा जाना था बहुत कुछ। शायद और ...

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स्वरांगी साने का जीवन परिचय