केदारनाथ सिंह साहित्य Hindi Literature Collections

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कविता क्या है

कविता क्या है हाथ की तरफ उठा हुआ हाथ देह की तरफ झुकी हुई आत्मा मृत्यु की तरफ़ घूरती हुई आँखें क्या है कविता कोई हमला हमले के बाद पैरों को खोजते लहूलुहान जूते नायक की चुप्पी विदूषक की चीख़ बालों के गिरने पर नाई की चिन्ता एक पत्ता टूटने पर राष्ट्र का शोक आख़िर क्या है क्या है कविता ? मैंने जब भी सो...

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मातृभाषा

जैसे चींटियाँ लौटती हैंबिलों मेंकठफोड़वा लौटता हैकाठ के पासवायुयान लौटते हैं एक के बाद एकलाल आसमान में डैने पसारे हुएहवाई-अड्डे की ओर
ओ मेरी भाषामैं लौटता हूँ तुम मेंजब चुप रहते-रहतेअकड़ जाती है मेरी जीभदुखने लगती हैमेरी आत्मा
- केदारनाथ सिंह
 

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दो मिनट का मौन

भाइयो और बहनोयह दिन डूब रहा है इस डूबते हुए दिन परदो मिनट का मौन
जाते हुए पक्षी पर रुके हुए जल परझिरती हुई रात परदो मिनट का मौन
जो है उस पर जो नहीं है उस पर जो हो सकता था उस पर दो मिनट का मौन
गिरे हुए छिलके पर टूटी हुई घास पर हर योजना पर हर विकास पर दो मिनट का मौन
इस महान शताब्दी पर महान शताब...

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केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय