इस सोते संसार बीच,जग कर सज कर रजनी वाले !कहाँ बेचने ले जाती हो,ये गजरे तारों वाले ?
मोल करेगा कौन,सो रही हैं उत्सुक आँखें सारी ।मत कुम्हलाने दो,सूनेपन में अपनी निधियाँ न्यारी ॥
निर्झर के निर्मल जल में,ये गजरे प्रतिबिंबित धोना ।लहर हहर कर यदि चूमे तो,किंचित् विचलित मत होना ॥
होने दो प्रतिबिम्ब ...
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