सर्वेश्वर दयाल सक्सेना साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 3

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सफेद गुड़

दुकान पर सफेद गुड़ रखा था। दुर्लभ था। उसे देखकर बार-बार उसके मुँह से पानी आ जाता था। आते-जाते वह ललचाई नजरों से गुड़ की ओर देखता, फिर मन मसोसकर रह जाता।
आखिरकार उसने हिम्मत की और घर जाकर माँ से कहा। माँ बैठी फटे कपड़े सिल रही थी। उसने आँख उठाकर कुछ देर दीन दृष्टि से उसकी ओर देखा, फिर ऊपर आसमान क...

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अजनबी देश है यह

अजनबी देश है यह, जी यहाँ घबराता हैकोई आता है यहाँ पर न कोई जाता है; जागिए तो यहाँ मिलती नहीं आहट कोई, नींद में जैसे कोई लौट-लौट जाता है; होश अपने का भी रहता नहीं मुझे जिस वक्त-- द्वार मेरा कोई उस वक्त खटखटाता है;शोर उठता है कहीं दूर क़ाफिलों का-सा,कोई सहमी हुई आवाज़ में बुलाता है--देखिए तो व...

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लीक पर वे चलें

लीक पर वे चलें जिनकेचरण दुर्बल और हारे हैं,हमें तो जो हमारी यात्रा से बनेऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं।
साक्षी हों राह रोके खड़ेपीले बाँस के झुरमुट,कि उनमें गा रही है जो हवाउसी से लिपटे हुए सपने हमारे हैं।
शेष जो भी हैं-वक्ष खोले डोलती अमराइयाँ;गर्व से आकाश थामे खड़ेताड़ के ये पेड़,हिलती क्षितिज...

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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जीवन परिचय