धनई और कन्हई लंगोटिया यार थे और पड़ोसी भी। ऐसा लगता था कि उनके दो शरीर थे परन्तु आत्मा एक ही थी। वे प्रण बांध कर हर दिन कम से कम चार घण्टे एक साथ बिताते थे। आज धनई के घर, कल कन्हई के। कभी-कभी दोनों एक ही थाली से भोजन भी करते थे। एकता दर्शाने के लिए वे अकसर एक ही रंग और एक ही ढंग के कपड़े भी धारण ...
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