निराला पर सपना सिंह (सोनश्री) की कविता
निराला जी, निराले थे।इसलिए तो,सबको, भाये थे।आपके, शब्दों में,जादू था ऐसा,किआज भी,गूंजते हैं वही,जेहन में,बार बार,कर्नाकाश के,अक्षय पटल पर ।अभाव में,भाव,आये थे कैसे ?आज तो,भाव में भाव,आता नहीं ।सोचती हूँ ,कहाँ से,उमड़ेगी कविता,जिसमें,झलकेगी,छवि आपकी ।क्या कह...
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