सपना सिंह ( सोनश्री ) साहित्य Hindi Literature Collections

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आज भी खड़ी वो...

निराला की कविता, 'तोड़ती पत्थर' को सपना सिंह (सोनश्री) आज के परिवेश में कुछ इस तरह से देखती हैं:
आज भी खड़ी वो...तोडती पत्थर,दिखी थी आपको,क्या पता था,टूटेगा,और क्या क्या ?कविवर,क्या कहूँ,वो दिखी थीरास्ते में आपको,आज,जो पढ़ता है,चला जाता है,बस उसी रास्ते में ।जिस कसक ने,लेखनी चलाई थी,उस दिन की,वो...

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छवि नहीं बनती

निराला पर सपना सिंह (सोनश्री) की कविता
निराला जी, निराले थे।इसलिए तो,सबको, भाये थे।आपके, शब्दों में,जादू था ऐसा,किआज भी,गूंजते हैं वही,जेहन में,बार बार,कर्नाकाश के,अक्षय पटल पर ।अभाव में,भाव,आये थे कैसे ?आज तो,भाव में भाव,आता नहीं ।सोचती हूँ ,कहाँ से,उमड़ेगी कविता,जिसमें,झलकेगी,छवि आपकी ।क्या कह...

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सपना सिंह ( सोनश्री ) का जीवन परिचय