गजानन माधव मुक्तिबोध | Gajanan Madhav Muktibodh साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 5

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अँधेरे में

जिंदगी के...कमरों में अँधेरेलगाता है चक्करकोई एक लगातार;आवाज पैरों की देती है सुनाईबार-बार... बार-बार,वह नहीं दीखता... नहीं ही दीखता,किंतु वह रहा घूमतिलस्मी खोह में गिरफ्तार कोई एक,भीत-पार आती हुई पास से,गहन रहस्यमय अंधकार ध्वनि-साअस्तित्व जनाताअनिवार कोई एक,और मेरे हृदय की धक्-धक्पूछती है - वह क...

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मुक्तिबोध की कविता

मैं बना उन्माद री सखि, तू तरल अवसादप्रेम - पारावार पीड़ा, तू सुनहली यादतैल तू तो दीप मै हूँ, सजग मेरे प्राण।रजनि में जीवन-चिता औ' प्रात मे निर्वाणशुष्क तिनका तू बनी तो पास ही मैं धूलआम्र में यदि कोकिला तो पास ही मैं हूलफल-सा यदि मैं बनूं तो शूल-सी तू पासविँधुर जीवन के शयन को तू मधुर आवाससजल मेरे ...

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मुक्तिबोध की कविताएं

यहाँ मुक्तिबोध के कुछ कवितांश प्रकाशित किए गए हैं। हमें विश्वास है पाठकों को रूचिकर व पठनीय लगेंगे।
ओ सूर्य, तुझ तक पहुँचने कीमूर्खता करना नहीं मैं चाहता ( मर जाऊँगा )बस, इसलिएउसके विरुद्ध प्रतिक्रियाके रूप मेंमैं क्यों न चमगादड बनूंव धरित्री की ओर मुँह करपैर तेरे ओर करता लटकता ही रहूँचूंकि हे म...

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पक्षी और दीमक

बाहर चिलचिलाती हुई दोपहर है लेकिन इस कमरे में ठंडा मद्धिम उजाला है। यह उजाला इस बंद खिड़की की दरारों से आता है। यह एक चौड़ी मुँडेरवाली बड़ी खिड़की है, जिसके बाहर की तरफ, दीवार से लग कर, काँटेदार बेंत की हरी-घनी झाड़ियाँ हैं। इनके ऊपर एक जंगली बेल चढ़ कर फैल गई है और उसने आसमानी रंग के गिलास जैसे ...

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गजानन माधव मुक्तिबोध | Gajanan Madhav Muktibodh का जीवन परिचय