हरिहर झा | ऑस्ट्रेलिया | Harihar Jha साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 4

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कलम गहो हाथों में साथी

कलम गहो हाथों में साथीशस्त्र हजारों छोड़
तूलिका चले, खुले रहस्य तोधोखों से उद्धारभेद बताने लगें आसमाँजिद्द छोड़ें गद्दारपड़ाव हर मंजिल के नापें चट्टानो को तोड़
मोड़ें बादल बिजली का रूखशयन सैंकड़ों छोड़
कीचड़ ना हो, नदियाँ निर्मलदूर हो भ्रष्टाचारकोयल खुद अंडे सेयेनिर्मल कर दे आचारश्रम को स...

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लिखना बाकी है

शब्दों के नर्तन से शापितअंतर्मन शिथिलायालिखने को तो बहुत लिखापर कुछ लिखना बाकी है
रुग्ण बाग में पंछी घायलरक्त वमन जब बहताविभत्स में शृंगार रसों कीलुकाछिपी खेलाईविद्रोही दिल रोता रहतादर्द बहुत ही सहताफिर भी लफ़्ज़ों को निचोड़ करबदबू ही फैलाईखाद समझ नाले से मैंनेकीचड़ तो बिखराया
किन्तु हाय! गन्ध ...

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मण्डी बनाया विश्व को

लुढ़कता पत्थर शिखर से, क्यों हमें लुढ़का न देगा ।
क्रेन पर ऊँचा चढ़ा कर, चैन उसकी क्यों तोड़ दीदर्शन बनाया लोभ का , मझधार नैया छोड़ दीऋण-यन्त्र से मन्दी बढ़ी, डॉलर नदी में बह लियाअर्थ के मैले किनारे, नाच से सम्मोहित किया
बहकता उन्माद सिर पर, क्यों हमें बहका न देगालुढ़कता पत्थर शिखर से, क्यों ...

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मदिरा ढलने पर | कविता

 
नजरों से गश आया साकी मदिरा ढलने पर क्या होगा।
प्यास बुझाने पानी मांगा अमृत की अब चाह नहीं
नन्हा दीपक साथ मे हो आवश्यक जगमग राह नहीं
मौत आये यों सजधज कर फिर र्स्वगलोक मे क्या होगा
नजरों से गश आया साकी मदिरा ढलने पर क्या होगा।
दुनिया मे नहीं कोई पराया सब के सब अपने देखे
सबकी यादें मीठ...

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हरिहर झा | ऑस्ट्रेलिया | Harihar Jha का जीवन परिचय