कृष्ण सुकुमार | Krishna Sukumar साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 6

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झील, समुंदर, दरिया, झरने उसके हैं | ग़ज़ल

झील, समुंदर, दरिया, झरने उसके हैंमेरे तश्नालब पर पहरे उसके हैं
हमने दिन भी अँधियारे में काट लियेबिजली, सूरज, चाँद-सितारे उसके हैं
चलना मेरी ज़िद में शामिल है वर्नाउसकी मर्ज़ी, सारे रस्ते उसके हैं
जिसके आगे हम उसकी कठपुतली हैंमाया के वे सारे पर्दे उसके हैं
मुड़ कर पीछे शायद ही अब वो देखेहम पागल ह...

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ताज़े-ताज़े ख़्वाब | ग़ज़ल

ताज़े-ताज़े ख़्वाब सजाये रखता हैयानी इक उम्मीद जगाये रखता है
उसको छूने में अँगुलि जल जाती हैंजाने कैसी आग दबाये रखता है
अपने दिल की सबसे कहता फिरता हैबाक़ी सबके राज़ छुपाये रखता है
अपनापन तो उसके फ़न में शामिल हैदुश्मन को भी दोस्त बनाये रखता है
उसका होना तय है, दिखना नामुम्किनकैसी इक दीवार उठ...

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मैं अपनी ज़िन्दगी से | ग़ज़ल

मैं अपनी ज़िन्दगी से रूबरू यूँ पेश आता हूँग़मों से गुफ़्तगू करता हूँ लेकिन मुस्कुराता हूँ
ग़ज़ल कहने की कोशिश में कभी ऐसा भी होता हैमैं ख़ुद को तोड लेता हूँ, मैं ख़ुद को फिर बनाता हूँ
कभी शिद्दत से आती है मुझे जब याद उसकी तोकिसी बुझते दिये जैसा ज़रा-सा टिमटिमाता हूँ
सज़ा देना है तेरा काम, कोता...

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भरोसा इस क़दर मैंने | ग़ज़ल

भरोसा इस क़दर मैंने तुम्हारे प्यार पर रक्खाशरारों पर चला बेख़ौफ़, सर तलवार पर रक्खा
यक़ीनन मैं तुम्हारे घर की पुख़्ता नींव हो जातामगर तुमने मुझे ढहती हुई दीवार पर रक्खा
झुका इतना मेरी दस्तार सर पर ही रही क़ाइममेरी ख़ुद्दारियो! तुमने मुझे मेयार पर रक्खा
कभी गिन कर नहीं देखे सफ़र में मील के पत्थ...

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पुराने ख़्वाब के फिर से | ग़ज़ल

पुराने ख़्वाब के फिर से नये साँचे बदलती हैसियासत रोज़ अपने खेल में पाले बदलती है
हम ऐसे मोड़ पर आ कर अचानक टूट जाते हैंजहाँ से ज़िन्दगी अपने कई रस्ते बदलती है
हमेशा एक सा चेहरा बहुत कम लोग रखते हैंयहाँ इंसान की फ़ितरत कई चेहरे बदलती है
हवा में भीगते हैं बारिशों में सूख जाते हैंमुहब्बत मौसमों क...

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कृष्ण सुकुमार की ग़ज़लें

कृष्ण सुकुमार की ग़ज़लें

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कृष्ण सुकुमार | Krishna Sukumar का जीवन परिचय