शैल चतुर्वेदी | Shail Chaturwedi साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 10

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टूट गयी खटिया

हे वोटर महाराज,आप नहीं आये आखिर अपनी हरकत से बाज़
नोट हमारे दाब लिये और वोट नहीं डालादिखा नर्मदा घाट सौंप दी हाथों में माला
डूब गये आंसू में मेरे छप्पर और छानीऊपर से तुम दिखलाते हो चुल्लू भर पानी
मिले ना लड्डू लोकतंत्र के दाव गया खालीसूख गई क़िस्मत की बगिया रूठ गया माली
बाप-कमाई साफ़ हो गई हा...

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कवि फ़रोश | पैरोडी

जी हाँ, हुज़ूर, मैं कवि बेचता हूँमैं तरह-तरह के कवि बेचता हूँमैं किसिम-किसिम के कवि बेचता हूँ।
जी, वेट देखिए, रेट बताऊं मैंपैदा होने की डेट बताऊं मैंजी, नाम बुरा, उपनाम बताऊं मैंजी, चाहे तो बदनाम बताऊं मैंजी, इसको पाया मैंने दिल्ली मेंजी, उसको पकड़ा त्रिचनापल्ली मेंजी, कलकत्ते में इसको घेरा हैजी...

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व्यंग्यकार से 

हमनें एक बेरोज़गार मित्र को पकड़ाऔर कहा, "एक नया व्यंग्य लिखा है, सुनोगे?"तो बोला, "पहले खाना खिलाओ।"खाना खिलाया तो बोला, "पान खिलाओ।"पान खिलाया तो बोला, "खाना बहुत बढ़िया थाउसका मज़ा मिट्टी में मत मिलाओ।अपन ख़ुद ही देश की छाती पर जीते-जागते व्यंग्य हैंहमें व्यंग्य मत सुनाओजो जन-सेवा के नाम पर ऐश...

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कार सरकार | हास्य

नए-नए मंत्री ने अपने ड्राइवर से कहा— ‘आज कार हम चलाएँगे।’ 
ड्राइवर बोला— ‘हम उतर जाएँगे हुज़ूर, चलाकर तो देखिए आपकी आत्मा हिल जाएगी यह कार है, सरकार नहीं जो भगवान के भरोसे चल जाएगी।’ 
-शैल चतुर्वेदी

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लेन-देन

एक महानुभाव हमारे घर आएउनका हाल पूछा तो आँसू भर लाए,बोले--"रिश्वत लेते पकड़े गए हैं बहुत मनाया, नहीं माने भ्रष्टाचार समिति वालेअकड़ गए हैं। सच कहता हूँ मैनें नहीं माँगी थीदेने वाला ख़ुद दे रहा थाऔर पकड़ने वाले समझेमैं ले रहा था। अब आप ही बताइए घर आई लक्ष्मी कोकौन ठुकराता हैक्या लेन-देन भी रिश्वत ...

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तुम वाकई गधे हो

एक गधादूसरे गधे से मिलातो बोला- "कहो यार कैसे हो?"दूसरा बोला- "तुम वाकई गधे होएक साल होने को आयाएक ही जगह बंधे होडाक्टरों ने दल बदलेमगर तुमनेखूंटा तक नहीं बदला।"तभी बोल उठा पहला-"सामने वाले बंगले मेंदो नेता रहते हैंरोज आपस में लड़ते हैंएक कहता है तुमसे गधा अच्छादूसरा कहता है गधे का बच्चाऔर मैं यह...

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प्रश्न

प्रश्न था - " नाम ?" हमने लिख दिया - "बदनाम" "काम" "बेकाम।" "आयु ?" "जाने राम ।" "निवास स्थान ?" "हिन्दुस्तान।" "आमदनी ?" " "आराम हराम ।"
-शैल चतुर्वेदी

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बाजार का ये हाल है | हास्य व्यंग्य संग्रह

 बाज़ार का ये हाल है  - हास्य-व्यंग्य-संग्रह
 

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सौदागर ईमान के

आँख बंद कर सोये चद्दर तान के,हम ही हैं वो सेवक हिन्दुस्तान के ।
बहते-बहते पार लगे हैं हम चुनाव की बाढ़ में,स्वतंत्रता को पकड़ रखा है हमने अपनी दाढ़ में ।हीरे औ' माणिक हैं हम ही प्रजातंत्र की खान केकोई कहता काम चाहिए, कोई कहता रोटी दो,कोई नंगा खड़ा सामने कहता हमें लंगोटी दो ।सुनते-सुनते हाय हो गय...

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तेरे भीतर अगर नदी होगी | ग़ज़ल

तेरे भीतर अगर नदी होगी तो समंदर से दोस्ती होगी
कोई खिड़की अगर खुली होगी तो खयालों में ताज़गी होगी
भीड़ में जिसको भूल बैठा हैयाद कर तेरी जिंदगी होगी
दिल को जलने दे और जलने दे आग होगी तो रोशनी होगी
लोग आपस में प्यार बाँटेंगे'शैल' वो कौन-सी सदी होगी
-शैल चतुर्वेदी

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शैल चतुर्वेदी | Shail Chaturwedi का जीवन परिचय