गली-गली में घूमे नसेड़ी दुनिया यहाँ मस्तानी
गज़ब यह सूवा शहर मेरी रानी।
जिसकी जेब में पैसा नहीं है कोई न पूछे पानी
गज़ब यह सूवा शहर मेरी रानी।
आगे मन्दिर में राम रहे हैं पीछे रहें रामजानी
गज़ब यह सूवा शहर मेरी रानी।
गोरी चलावे तिरछी नज़रिया गली-गली दीवानी
गजब यह सूवा शहर मेरी रानी।
फीजी का दिल सूवा शहर है फीजी की राजधानी
गज़ब यह सूवा शहर मेरी रानी।
नीचे होटेल में दारू बिके है ऊपर बिके है जवानी
गज़ब यह सूवा शहर मेरी रानी।
- पं॰ कमला प्रसाद मिश्र
[ 1913 -1995, फीजी ]