बन्दर | लघुकथा

रचनाकार: चंद्रधर शर्मा गुलेरी

प्रेत समुद्र के पास किसी नगर के वासी बड़े विलासी और आलसी थे और परमेश्वर ने उन्हें धर्मोपदेश करने को, हजरत मूसा को भेजा। मूसा ने बड़ी गम्भीरता से उन्हें अपने सिद्धान्त समझाए और धर्मोपदेश दिया। उन महाशयों ने मूसा की ओर मुंह चिढ़ाया और उसके भाषण को सुनकर जंभाड्यां लीं और दांत निकालकर मूसा को स्पष्ट सुना दिया कि हमें तुम्हारी जरूरत नहीं है। मूसा ने अपना रास्ता लिया।... वे सब मनुष्य बन्दर हो गये। अब वे जगत की ओर मजे में मुह चिढ़ाते हैं और चिढ़ाते ही रहेंगे। 

-चंद्रधर शर्मा गुलेरी