खेलो रंग अबीर उड़ावो - होली कविता

रचनाकार: अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

खेलो रंग अबीर उड़ावो लाल गुलाल लगावो ।
पर अति सुरंग लाल चादर को मत बदरंग बनाओ ।
न अपना रग गँवाओ ।

जनम-भूमि की रज को लेकर सिर पर ललक चढ़ाओ ।
पर अपने ऊँचे भावो को मिट्टी में न मिलाओ ।
न अपनी धूल उड़ाओ ।

प्यार उमंग रंग में भीगो सुन्दर फाग मचाओ ।
मिलजुल जी की गांठे खोलो हित की गांठ बँधाओ ।
प्रीति को बेलि उगाओ ।

- पं० अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'