प्रभुद‌याल‌ श्रीवास्त‌व‌ | Prabhudyal Shrivastava साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 10

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अम्मू भाई का छक्का

"दादाजी मैं छक्का मारूँगा," अम्मू भाई ने क्रिकेट बैट लहराते हुये मुझसे कहा। वह एक हाथ में बाल लिये था, बोला, "प्लीज़ बाँलिंग करो न दादाजी।"
"अरे! अरे! इस कमरे में छक्का, नहीं-नहीं। यहाँ थोड़े ही छक्का मारा जाता है। कमरे में कहीं क्रिकेट खेलते हैं क्या? यहाँ टी.वी. रखा है, फ्रिज है, कूलर रखा है, ...

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घर का मतलब‌ 

धरती सुबह-सुबह छप्पर से,लगी जोर से लड़ने।उसकी ऊंचाई से चिढ़कर,उस पर लगी अकड़ने।
बोली बिना हमारे तेरा,बनना नहीं सरल है।मेरे ऊपर बनते घर हैं,तू उसका प्रतिफल है।
अगर नहीं मैं होती भाई,तू कैसे बन पाता।दीवारें न होतीं, तुझको,सिर पर कौन बिठाता।
छत बोला यह सच है बहना,तुम पर घर बनते है।किंतु बिना छप्प...

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दद्दू का पिद्दू

गोटिया और लूसी के दादाजी का नाम मस्त राम है। नाम के अनुरूप वह हमेशा मस्त ही रहते हैं। व्यर्थ की चिंताओं को पाल कर रखना उनकी आदतों में शुमार नहीं है ।अगर भूले भटके कोई चिंता आ ही गई तो उसे वह सांप की केंचुली की तरह उतार फेंकते हैं। चिंता भी अकसर उनसे दूर ही रहती है। वह जानती है कि यह मस्त राम नाम ...

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 गाँव चलें हम | बालगीत

चलो पिताजी गांव चलें हम,
दादाजी के पास। 
 
बहुत दिनों से दादाजी का,
नहीं मिला है साथ। 
वरद हस्त सिर पर हो उनका,
भीतर  मेरे साथ। 
 
पता नहीं क्यों ह्रदय व्यथित है, 
मन है बहुत उदास। 
दादी के हाथों की रोटी,
का आ जाता ख्याल। 
लकड़ी से चूल्हे पर...

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चार बाल गीत

यात्रा करो टिकिट लेकर
टाँगे झोला कंधे परआया यहाँ टिकिट चेकर।अब उनकी शामत आईजो न चढ़े टिकिट लेकर।उन्हें लगेगा जुर्माना या निपटें कुछ ले-देकर।बचना है झंझट से तोयात्रा करो टिकिट् लेकर।
--प्रभुद‌याल‌ श्रीवास्त‌व‌
 
[2]
घर अपना है
यह घर देखो अपना हैजैसे सुंदर सपना है।
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हिंदी में | कविता

लेख लिखा मैंने हिंदी में,लिखी कहानी हिंदी मेंलंदन से वापस आकर फिर,बोली नानी हिंदी में।
गरमी में कश्मीर गये तो,घूमें कठुआ श्रीनगर।मजे-मजे से बोल रहे थे,सब सैलानी हिंदी में।
पापा के सँग गए घूमने,हम कोच्ची में केरल के,छवि गृहों में लगा सिनेमा ,,"राजा जॉनी" हिंदी में।
बेंगलुरु में एक बड़े से,होटल म...

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छन्नूजी

दाल भात रोटी मिलती तो,छन्नू नाक चढ़ाते।पूड़ी परांठे रोज रोज ही,मम्मी से बनवाते।
हुआ दर्द जब पेट,रात को,तड़फ तड़फ चिल्लाये।बड़े डॉक्टर ने इंजेक्शन,आकर चार लगाये।
छन्नूजी अब दाल भात या,रोटी ही खाते हैं।पूड़ी परांठे दिए किसी ने,गुस्सा हो जाते हैं।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
 

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मछली की समझाइश‌

मेंढक बोला चलो सड़क पर,जोरों से टर्रायें। बादल सोया ओढ़ तानकर, उसको शीघ्र जगायें।
मछली बोली पहले तो हम लोगों को समझायें- "पेड़ काटना बंद करें वे पर्यावरण बचायें।
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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मीठी वाणी

छत पर आकर बैठा कौवा,कांव-कांव चिल्लाया|मुन्नी को यह स्वर ना भाया,पत्थर मार भगाया|तभी वहां पर कोयल आई,कुहू कुहू चिल्लाई|उसकी प्यारी प्यारी बोली,मुनिया के मन भाई|मुन्नी बोली प्यारी कोयल,रहो हमारे घर में|शक्कर से भी ज्यादा मीठा,स्वाद तुम्हारे स्वर में|मीठी बोली वाणी वाले,सबको सदा सुहाते|कर्कश कड़े ब...

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बूंदों की चौपाल 

हरे- हरे पत्तों पर बैठे,हैं मोती के लाल।बूंदों की चौपाल सजी है,बूंदों की चौपाल।  
बादल की छन्नी में छनकर,आई बूंदें मचल मटक कर।पेड़ों से कर रहीं जुगाली,बतयाती बैठी डालों पर।नवल धवल फूलों पर बैठे,जैसे हीरालाल।बूंदों की चौपाल॥ 
सर -सर हिले हवा में पत्तेजाते दिल्ली से कलकत्ते।बिखर -बिखर क...

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प्रभुद‌याल‌ श्रीवास्त‌व‌ | Prabhudyal Shrivastava का जीवन परिचय