जब दुख पर दुख हों झेल रहे, बैरी हों पापड़ बेल रहे,हों दिन ज्यों-त्यों कर ढेल रहे, बाकी न किसी से मेल रहे,तो अपने जी में यह समझो,दिन अच्छे आने वाले हैं ।
जब पड़ा विपद का डेरा हो, दुर्घटनाओं ने घेरा हो,काली निशि हो, न सबेरा हो, उर में दुख-दैन्य बसेरा हो,तो अपने जी में यह समझो,दिन अच्छे आने वाले है...
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