संजय भारद्वाज साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 5

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जीवन - संजय उवाच

भयमिश्रित एक चुटकुला सुनाता हूँ। अँधेरा हो चुका था। राह भटके किसी पथिक ने श्मशान की दीवार पर बैठे व्यक्ति से पूछा,' फलां गाँव के लिए रास्ता किस ओर से जाता है?' उस व्यक्ति ने कहा, 'मुझे क्या पता? मुझे तो गुजरे 200 साल बीत चुके।'
पथिक पर क्या बीती होगी, यह तो वही जाने। अलबत्ता यह घटनाक्रम किसी को ...

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संजय भारद्वाज की दो कविताएं

जाता साल
(संवाद 2018 से)
करीब पचास साल पहलेतुम्हारा एक पूर्वजमुझे यहाँ लाया था,फिर-बरस बीतते गएकुछ बचपन केकुछ अल्हड़पन केकुछ गुमानी केकुछ गुमनामी के,कुछ में सुनी कहानियाँकुछ में सुनाई कहानियाँकुछ में लिखी डायरियाँकुछ में फाड़ीं डायरियाँ,कुछ सपनों वालेकुछ अपनों वालेकुछ हकीकत वालेकुछ बेगानों वाले...

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बीज

जलती सूखी जमीनठूँठ-से खड़े पेड़अंतिम संस्कार कीप्रतीक्षा करती पीली घास,लू के गर्म शरारेदरकती माटी की दरारेंइन दरारों के बीच पड़ावो बीज...,मैं निराश नहीं हूँये बीज मेरी आशा का केन्द्र है।ये,जो अपने भीतर समाये हैअसीम संभावनाएँ-वृक्ष होने कीछाया देने कीबरसात देने कीफल देने कीऔर हाँ;फिर एक नया बीज दे...

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विडम्बना

ऐसा लबालब क्यों भर दिया तूने,बोलता हूँ तोचर्चा होती है,चुप रहता हूँ तोऔर भी अधिकचर्चा होती है!
संजय भारद्वाज, पुणे ई-मेल: writersanjay@gmail.com

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सृष्टि का खिलना

प्रात: घूमने निकला। दो-चार दिन एक दिशा में जाने के बाद, नवीनता की दृष्टि से भिन्न दिशा में जाता हूँ। आज निकट के जॉगर्स पार्क के साथ की सड़क से निकला। पार्क में व्यायाम के नए उपकरण लगे हैं। अनेक स्त्री-पुरुष व्यायाम कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि व्यायाम करने वालों में स्त्रियों का प्रतिशत अच्छा था। द...

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संजय भारद्वाज का जीवन परिचय