उठो धरा के अमर सपूतोपुनः नया निर्माण करो।जन-जन के जीवन में फिर सेनई स्फूर्ति, नव प्राण भरो।
नया प्रात है, नई बात है,नई किरण है, ज्योति नई।नई उमंगें, नई तरंगे,नई आस है, साँस नई।युग-युग के मुरझे सुमनों में,नई-नई मुसकान भरो।
डाल-डाल पर बैठ विहग कुछनए स्वरों में गाते हैं।गुन-गुन-गुन-गुन करते भौंरेम...
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