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सहजो बाई के गुरु पर दोहे

'सहजो' कारज जगत के, गुरु बिन पूरे नाहिं । हरि तो गुरु बिन क्या मिलें, समझ देख मन माहि।।
परमेसर सूँ गुरु बड़े, गावत वेद पुराने। ‘सहजो' हरि घर मुक्ति है, गुरु के घर भगवान ।।
'सहजो' यह मन सिलगता, काम-क्रोध की आग । भली भयो गुरु ने दिया, सील छिमी की बाग ।।
ज्ञान दीप सत गुरु दियौ, राख्यौ काया ...

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गुरु महिमा | पद

राम तजूँ पै गुरु न बिसारूँ, गुरु के सम हरि कूँ न निहारूँ ।।हरि ने जन्म दियो जग माहीं। गुरु ने आवा गमन छुटाहीं ।। हरि ने पाँच चोर दिये साथा। गुरु ने लई छुटाय अनाथा ।। हरि ने रोग भोग उरझायो। गुरु जोगी करि सबै छुटायो ।। हरि ने कर्म मर्म भरमायो। गुरु ने आतम रूप लखायो ।। फिरि हरि वध मुक्ति गति लाये। ग...

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सहजो बाई का जीवन परिचय