सहजो बाई
सहजो बाई राजपूताना के एक प्रतिष्ठित ढुसर (वैश्य) कुल से संबंध रखतीं थीं। इनके पिता का नाम हरिप्रसाद था। अनेक संत कवियों की भांति इनके जीवन के बारे में भी अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
आपकी बानी से इतनी जानकारी अवश्य मिलती है कि उनका जीवनकाल संभवतय सम्वत् 1800 के आसपास रहा होगा। आप प्रसिद्ध महात्मा चरनदासजी की शिष्या थीं।
आपकी एक मात्र प्रमाणिक कृति का नाम 'सहजप्रकाश' है। आपने दोहे, चौपाई और कुंडलियाँ लिखी हैं। सहजो बाई ने अपनी रचनाओं में गुरु को ईश्वर से भी अधिक मान्यता दी है।