अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ साहित्य Hindi Literature Collections

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सुनाएँ ग़म की किसे कहानी


सुनाएँ ग़म की किसे कहानी हमें तो अपने सता रहे हैं।हमेशा सुबहो-शाम दिल पर सितम के खंजर चला रहे हैं।।
न कोई इंग्लिश न कोई जर्मन न कोई रशियन न कोई टर्की। मिटाने वाले हैं अपने हिन्दी जो आज हमको मिटा रहे हैं।।
कहाँ गया कोहिनूर हीरा किधर गयी हाय मेरी दौलत।वो सबका सब लूट करके उलटा हमीं को डाकू बता र...

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कस ली है कमर अब तो

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएँगेआज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे।
हटने के नहीं पीछे, डर कर कभी जुल्मों सेतुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे।
बेशस्त्र नहीं है हम, बल है हमें चरखे काचरखे से जमीं को हम, ता चर्ख गुँजा देंगे।
परवा नहीं कुछ दम की, गम की नहीं, मातम की है जान हथेली पर, एक...

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अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जीवन परिचय