रेखा राजवंशी | ऑस्ट्रेलिया साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 9

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देश की मिट्टी | कविता

बेटी ने देश की मिट्टी उठाई एक बोतल में रख सील लगाई सूटकेस में रख साथ अपने लाईजमी रहें जड़ें अपनी जगह विदेश में रहें देश की तरह मिट्टी की खुशबू भर दे खुशहाली देश से जाएँ तो क्यों जाएँ ख़ालीशायद यह बात उसके मन में आई देश की मिट्टी वो साथ अपने लाई।
-रेखा राजवंशी, ऑस्ट्रेलिया
[साभार: कंगारुओं के दे...

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दर्द के पैबंद | ग़ज़ल

मखमली चादर के नीचे दर्द के पैबंद हैं आपसी रिश्तों के पीछे भी कई अनुबंध हैं।
दोस्त बन दुश्मन मिले किसका भरोसा कीजिए मित्र अपनी साँस पर भी अब यहाँ प्रतिबंध है।
तोड़ औरों के घरौंदे घर बसा बैठे हैं लोग फिर शिकायत कर रहे क्यों टूटते संबंध हैं।
दूसरों पर पाँव रखकर चढ़ रहे हैं सीढ़ियाँ और कहते हैं उस...

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कुछ न किसी से कहें जनाब | ग़ज़ल

कुछ न किसी से कहें जनाब अच्छा है चुप रहें जनाब
दुनिया बेहद जालिम है हंसके सब कुछ सहें जनाब
पत्थर से न सख्त रहें पानी बन के बहें जनाब
और कभी तो खोलें भी अपने मन की तहें जनाब
कुछ तो मज़बूती रखिये बालू से न ढहें जनाब
राजमहल को क्यों देखें जितना है खुश रहें जनाब
-रेखा राजवंशी, ऑस्ट्रेलिया
 

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ज़िन्दगी इतनी भी आसान नहीं | ग़ज़ल

ज़िन्दगी इतनी भी आसान नहीं कौन है जो कि परेशान नहीं
जिसके दामन में हों खुशियाँ-खुशियाँऐसा मिलता कोई इंसान नहीं
लेके दिल में जो सकूँ रहते हैं, उनको भी बख्शते तूफ़ान नहीं
बन के सूरज जो खिला करते हैंरात के साए से अनजान नहीं
ग़म की स्याही उड़ेलते हैं जो साफ़ उनके भी गिरेबान नहीं
किससे अब उनकी शि...

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तेरे नाम | गीत

जाने कितनी बातें लिख दीं तेरे नाम इश्क में डूबीं रातें लिख दीं तेरे नाम
फूलों की खुशबू से महकी-महकी सी मदहोशी के आलम में कुछ बहकी सी शहद भरी सौगातें लिख दीं तेरे नाम
मेंहदी के रंग, रंगे हुए अल्फ़ाज़ लिखे चाँद सितारों से जगमग अंदाज़ लिखेसावन की बरसातें लिख दीं तेरे नाम
चुटकी-चुटकी धूप सुनहरी ऐ...

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कम्प्यूटर | बाल गीत

नहीं चाहिए मुझको ट्यूटर माँ मुझको ला दे कम्प्यूटर।
कम्प्यूटर में ज्ञान है सारा ये है सारे जग से न्यारा। ये स्पेलिंग सिखलाता है शब्दकोष इसमें आता है। पूछो कोई भी सवाल तो गूगल भाई सुलझाता है। गणित और विज्ञान सभी के मिनटों में ले आता उत्तर।
नहीं चाहिए मुझको ट्यूटर माँ मुझको ला दे कम्प्यूटर।
कम्...

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ईस्टर की छुट्टी | बाल कविता

तेरी मेरी कुट्टीलाल नीले पीलेईस्टर एग्ज़ रंगीलेबड़ा मज़ा आया‘ईस्टर बनी' भायादादा लेकर आएसबने मिलकर खाए'
-रेखा राजवंशी ऑस्ट्रेलिया
 

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सबके अपने-अपने ग़म

सबके अपने-अपने ग़मकुछ के ज़्यादा, कुछ के कम
दिल पे ऐसी गुज़री हैआँख भरीं, पलकें हैं नम
अब के भी तुम न आए बीत गए कितने मौसम
तारा कोई टूटा हैफिर से है चश्मे पुरनम
कोई तो बादल बरसे बन जाए दर्दे मरहम
कुछ ऐसी भी बात करो मिल जाए लुत्फ़-ए-पैहम
दिल की दिल से राह बनेकुछ ऐसा भी हो आलम
- रेखा राजवंशी...

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श्यामली जीजी | कहानी

ये किस्सा है सांवली सलोनी, बड़ी-बड़ी आँखों वाली, कान्वेंट में पढ़ी लिखी, अंग्रेजी हिंदी दोनों भाषाओ में निपुण, आकर्षक महिला श्यामली जीजी का।श्यामली, जब मैं उनसे मिली तो वे अकेली थीं। अकेली तो थीं पर लोगों की भीड़ अपने चारों ओर इकट्ठी करने में देर नहीं लगाती थीं। एक खासियत थी उनमें जिसे हम अंग्रेजी मे...

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रेखा राजवंशी | ऑस्ट्रेलिया का जीवन परिचय