कृष्ण बलदेव वैद साहित्य Hindi Literature Collections

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मेरा दुश्मन

वह इस समय दूसरे कमरे में बेहोश पड़ा है। आज मैंने उसकी शराब में कोई चीज मिला दी थी कि खाली शराब वह शरबत की तरह गट-गट पी जाता है और उस पर कोई खास असर नहीं होता। आँखों में लाल डोर-से झूलने लगते हैं, माथे की शिकनें पसीने में भीग कर दमक उठती हैं, होंठों का जहर और उजागर हो जाता है, और बस - होशोहवास बदस...

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कृष्ण बलदेव वैद का जीवन परिचय