बाढ़ उतार पर थी और मैं नाव से गाँव जा रहा था। रास्ता लंबा था, कुआर की चढ़ती धूप, किसी तरह विषगर्भ दुपहरी काटनी थी, इसलिए माँझी से ही बातचीत का सिलसिला जमाया। शहर से लौटने पर गाँव का हाल-चाल पूछना जरुरी-सा हो जाता है, सो मैंने उसी से शुरू किया .... ' कह सहती, गाँव-गड़ा के हाल चाल कइसन बा।' सह...
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