अपने बचपन और नौजवानी के दिनों का मानसिक वातावरण देखकर यह तो कह सकता हूँ कि अमुक-अमुक परिस्थितियों ने मुझे लेखक बना दिया, परंतु यह अब भी नहीं कह सकता कि मैं लेखक ही क्यों बना। मेरे बाबा जब कभी लाड़ में मुझे आशीर्वाद देते तो कहा करते थे कि ''मेरा अमृत जज बनेगा।'' कालांतर में उनकी यह इच्छा...
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