फिर नये मौसम की हम बातें करेंसाथ खुशियों, ग़म की हम बातें करें जगमगाते थे दिए भी साथ मेंफिर भला क्यूँ, तम की हम बातें करें
जो दिया, उसने, खुशी से लें उसेफिर ना ज़्यादा, कम की हम बातें करें जो खुशी में भी छलक जाएँ कभीऐसे चश्म-ए-नम की हम बातें करें घाव देने का, ना हम,सोचें कभीघाव पे,मरहम की हम बात...
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