जनम-जनम की पहचानी वह तान कहाँ से आई !किसने बाँसुरी बजाई
अंग-अंग फूले कदंब साँस झकोरे झूलेसूखी आँखों में यमुना की लोल लहर लहराई !किसने बाँसुरी बजाई
जटिल कर्म-पथ पर थर-थर काँप लगे रुकने पगकूक सुना सोए-सोए हिय मे हूक जगाई !किसने बाँसुरी बजाई
मसक-मसक रहता मर्मस्थल मरमर करते प्राणकैसे इतनी कठि...
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