बाबू गुलाबराय | Babu Gulabrai साहित्य Hindi Literature Collections

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आशापञ्चक

आशा वेलि सुहावनी. शीतल जाको छांहि । जिहि प्रिय सुमन सुफलन ते, मधराई अधिकाहिं
आशा दीपक करत नीत, जिहि हिरदे में बास ज्यों ज्यों छावे तिमिर घन, त्यों त्यों बड़े प्रकास
मानव-जीवन को सुखद, सरस जु देत बनाइ सो आशा संजीवनी, किहि हत-भाग न भाइ
होहु निरासन हार में, धन्य लच्छ निज मान तोमे ईश्वर अंश को, दे...

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बाबू गुलाबराय | Babu Gulabrai का जीवन परिचय