राजा बोला रात है,रानी बोली रात है,मंत्री बोला रात है,संतरी बोला रात है,--यह सुबह-सुबह की बात है। -गोरख पाण्डेय
मेहनत से मिलती हैछिपाई जाती है स्वार्थ सेफिर, मेहनत से मिलती है -गोरख पाण्डेय
किस चीज़ से डरते हैं वेतमाम धन-दौलतगोला-बारूद पुलिस-फ़ौज के बावजूद?वे डरते हैंकि एक दिननिहत्थे और ग़रीब लोगउनसे डरनाबंद कर देंगे । -गोरख पाण्डेय(रचनाकाल 1979) [जागते रहो सोने वालो, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, 1983]