विषय कुछ और थाशहर कोई औरपर मुड़ गई बात भिखारी ठाकुर की ओर और वहाँ सब हैरान थे यह जानकरकि पीते नहीं थे वेक्योंकि सिर्फ़ वे नाचते थेऔर खेलते थे मंच पर वे सारे खेलजिन्हें हवा खेलती है पानी सेया जीवन खेलता हैमृत्यु के साथ
इस तरह सरजू के कछार-साएक सपाट चेहरानाचते हुए बन जाता थाकभी घोर पियक्कड़कभ...
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