'माँ' जब मुझको कहा पुरुष ने, तु्च्छ हो गये देव सभी।इतना आदर, इतनी महिमा, इतनी श्रद्धा कहाँ कमी?उमड़ा स्नेह-सिन्धु अन्तर में, डूब गयी आसक्ति अपार। देह, गेह, अपमान, क्लेश, छि:! विजयी मेरा शाश्वत प्यार॥
'बहिन!' पुरुष ने मुझे पुकारा, कितनी ममता! कितना नेह!'मेरा भैया' पुलकित अन्तर, एक प्राण हम, ...
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