सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैंस्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैं
सच है, विपत्ति जब आती है,कायर को ही दहलाती है,सूरमा नहीं विचलित होते,क्षण एक नहीं धीरज खोते,विघ्नों को गले लगाते हैं,काँटों में राह बनाते हैं।
मुँह से न कभी उफ़ कहते हैं,संकट का चरण न गहते हैं,जो आ पड़ता सब सहते हैं,उद्योग - निरत नित...
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