मुहब्बत की रियासत में सियासत जब उभर जाये प्रिये, तुम ही बताओ जिन्दगी कैसे सुधर जाये?
चुनावों में चढ़े हैं वे, निगाहों में चढ़ी हो तुम चढ़ाया है तुम्हें जिसने कहीं रो-रो न मर जाये!
उधर वे जीतकर लौटे, इधर तुमने विजय पाई हमेशा हारने वाला जरा बोलो किधर जाये?
वहाँ वे वॉट ...
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